राज्यसभा की 🐎 रेस

18 वीं शताब्दी में जब कैम्ब्रिज डिक्शनरी ने घोड़ों के व्यापार के लिए 'हॉर्स ट्रेडिंग' शब्दों का इजाद किया होगा तो उसने कतई ये अंदाज नहीं लगाया होगा कि यह 'टर्मिनोलॉजी' किसी राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर देश के ऊपरी सदन के नेता बनाने का भी काम करेगा। नहीं तो वो भी सरकारी तंत्रों की तरह अपने भी शब्दों के लिए जीएसटी का प्रबंध जरूर कर गए होते। अब 21 वीं सदी में आते हैं...

प्रतिद्वंद्वी दलों द्वारा हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप-प्रत्यारोप के बीच शुक्रवार 10 जून को संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा के शेष 16 सीटों पर चुनाव संपन्न हुए और राजनीतिक पार्टियों को जिसका डर था वही हुआ- क्रॉस वोटिंग। इससे पहले सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपने विधायकों को हॉर्स ट्रेडिंग ( खरीद-फरोख्त ) से बचाने के लिए होटल और रिसॉर्ट में ठहराया था।

राजस्थान में राज्यसभा चुनाव में 4 में से 3 सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशी के विजयी होने से बीजेपी और उससे समर्थित उम्मीदवार सुभाष चंद्रा के मंसूबों पर पानी फिर गया। सुभाष चंद्रा वर्तमान में हरियाणा से राज्यसभा सांसद थे। एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 41 वोट चाहिए थे। बीजेपी ने उम्मीद लगाई थी कांग्रेस के विधायकों के क्रॉस वोटिंग और निर्दलीयों के समर्थन से सुभाष चंद्रा के लिए जरूरी वोट प्राप्त हो जाएगा। लेकिन सूबे के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेराबन्दी के आगे एक काम नहीं आई। उल्टे बीजेपी के एक विधायक शोभारानी कुशवाहा ने क्रॉस वोटिंग करते हुए प्रमोद तिवारी को वोट किया। जिसके लिए बीजेपी ने शोभारानी को पार्टी से निष्कासित कर दिया। राजस्थान से कांग्रेस पार्टी के तरफ से रणदीप सुरजेवाला, मुकुल वासनिक और प्रमोद तिवारी तो बीजेपी से घनश्याम तिवारी विजयी हुए।

हरियाणा में कांग्रेस के विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग होने से बीजेपी समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार और न्यूज़ एक्स के मालिक कार्तिकेय शर्मा के विजयी होने से हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एक बार फिर खुद को बेहतर रणनीतिकार साबित किया। वहीं कांग्रेस के बड़े नेता और राजस्थान कांग्रेस के प्रभारी अजय माकन चुनाव हार गए। इससे पहले 2016 में भी हरियाणा में कांग्रेस विधायक द्वारा 14 क्रॉस वोटिंग से पार्टी समर्थित राज्यसभा उम्मीदवार आरके आनंद बिजनेसमैन शुभाष चंद्रा से हार गए थे।

सवाल यह है कि जरूरी मत होने के बावजूद कांग्रेस के उम्मीदवार माकन कैसे हार गए? दरअसल हरियाणा विधानसभा के 90 विधायकों में से 88 विधायकों ने इस चुनाव में हिस्सा लिया। इसलिए एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 29.34 वोट चाहिए थे। विधानसभा में कांग्रेस के 31 विधायक हैं, लेकिन जीत के लिए ज़रूरी वोट 29.34 वोट में से अजय माकन को 29 वोट ही मिल सके। वहीं बीजेपी-जेजेपी समर्थित उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा को 29.66 वोट पाकर विजयी हुए। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने दावा किया है कि कांग्रेस के कुलदीप बिश्नोई ने बीजेपी समर्थित उम्मीदवार कार्तिकेय को वोट किया। जबकि एक क्रॉस वोटिंग ज्ञात नहीं है। कार्तिकेय शर्मा पूर्व कांग्रेस नेता विनोद शर्मा के बेटा और कुलदीप बिश्नोई के दामाद हैं।

वहीं, लगभग 23 साल बाद महाराष्ट्र में हो रहे राज्यसभा चुनाव में AIMIM के समर्थन के बावजूद बीजेपी, महा विकास आघाडी पर हावी होते हुए शिवसेना के उम्मीदवार संजय पवार के तुलना में बीजेपी के उम्मीदवार धनंजय महादिक ने ज़्यादा वोट प्राप्त किया। महाराष्ट्र में कुल 6 सीटों पर मतदान हुए। जीत के लिए प्रत्येक उम्मीदवार को 41 वोट चाहिए थी। निर्वाचन आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार बीजेपी को संख्याबल से 10 वोट ज़्यादा मिले हैं। शेष 5 सीटों पर बीजेपी से पीयूष गोयल, अनिल बोंडे और एनसीपी से प्रफुल्ल पटेल एवं कांग्रेस से इमरान प्रतापगढ़ी ने जीत दर्ज की।

चार सीटों पर चुनाव हुए कर्नाटक में प्रत्येक उम्मीदवार को 45 वोट की जरूरत थी। कांग्रेस का जद(एस) के समर्थन से मना करने से किसी के पास भी चौथी सीट के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं होने से चुनाव इंटरेस्टिंग हो गया।बीजेपी और दोनों विपक्षी दल कांग्रेस एवं जद(एस) के उम्मीदवार मैदान में थे। चौथी सीट के लिए बीजेपी से लेहर सिंह सिरोया , जद(एस) से डी कुपेन्द्र रेड्डी और कांग्रेस से जयराम रमेश मैदान में थे। जद(एस) एक विधायक द्वारा श्रीनिवास गौर द्वारा कांग्रेस के पक्ष में क्रॉस वोटिंग और एक द्वारा बैलेट पेपर को खाली छोड़ देने के वजह से पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश विजयी घोषित किए गए।

राजस्थान और छतीसगढ़ में पांचों प्रत्याशी बाहरी होने के बावजूद जीत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और भूपेश बघेल के प्रति आलाकमान को विश्वास बढ़ाएगा। वहीं कांग्रेस पार्टी के प्रति वर्षों से लॉयल रहे अजय माकन को डेंजर जोन से और रंजीता रंजन को छतीसगढ़ से सेफ जोन से चुनाव में उतारना अन्य लॉयल नेताओं को पार्टी के प्रति भरोसा कम कर सकती है।

वहीं हरियाणा और महाराष्ट्र में संख्याबल नहीं होने के बावजूद पार्टी समर्थित या पार्टी उम्मीदवार का विजयी होना बीजेपी के लिए तोहफ़ा से कम नहीं है। वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस शीर्ष नेतृत्व के नजरों में अपने आप को और स्थापित किया है।

निर्वाचन आयोग ने द्विवार्षिक चुनावों के तहत राज्यसभा के 57 सीटों पर चुनाव की घोषणा की थी। इसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, तेलांगना, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश,ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड से सभी 41 उम्मीदवार को निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया था।

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